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सिटी पैलेस- उदयपुर (city palace, Udaipur)

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सिटी पैलेस- उदयपुर   ◾सिटी पैलेस, उदयपुर भारत के राजस्थान राज्य में बना हुआ एक महल परिसर है। तक़रीबन 400 साल पहले इसका निर्माण किया गया, जिसमे मेवाड़ साम्राज्य के बहुत से शासको ने इसमें अपना योगदान दिया था। ◾सिटी पैलेस पिछोला सरोवर के तट पर बना हुआ है और महल के परिसर में भी बहुत सी छोटी-छोटी इमारतो का निर्माण किया गया है। ◾पिछोला झील के किनारे,उदयपुर में सिटी पैलेस राजस्थान में सबसे बड़ा शाही परिसर माना जाता है।                     city palace- Udaipur सिटी पैलेस का इतिहास - सिटी पैलेस का निर्माण महाराणा उदय सिंह द्वितीय द्वारा उदयपुर शहर का निर्माण किये जाने के साथ ही किया गया था। इसके निर्माणकार्य में उनके उत्तराधिकारी महाराणा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।400 साल पहले इस विशाल महल का निर्माण किया गया था। इसी महल मं महाराजा रहते थे और शासन करते थे, इसीलिए इस पैलेस को राजस्थान के इतिहास में सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है।शुरू-शुरू में नागदा में मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया जा रहा था, जिसकी स्थापना 568 AD में मेवाड़ के पहले महाराणा गुहिल ने की थी। आंठवी शताब्दी में, राज्य

राजस्थान के जिले (district of Rajasthan)

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राजस्थान के जिले:- राजस्थान का परिचय (Rajasthan Districts Name)- ◾ राजस्थान के कुल जिले – 33 ◾राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। ◾राजस्थान 342,239 वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्तृत राज्य है। ◾ राजस्थान राज्य की जनसंख्या 6,86,21,012 है। 1. अजमेर जिला-अजमेर मुख्यालय-अजमेर क्षेत्रफल (वर्गकिमी)-8481 जनसंख्या (2011)-  25,84,913 मंडल-अजमेर 2. अलवर जिला- अलवर मुख्यालय- अलवर क्षेत्रफल (वर्गकिमी)-     8380 जनसंख्या (2011)- 36,71,999 मंडल- जयपुर 3. बांसवाड़ा जिला- बांसवाड़ा मुख्यालय- बांसवाड़ा क्षेत्रफल (वर्गकिमी)-     5037 जनसंख्या (2011)- 17,98,194 मंडल- उदयपुर 4. बारां जिला- बारां मुख्यालय- बारां क्षेत्रफल (वर्गकिमी)-     6955 जनसंख्या (2011)-     12,23,922 मंडल- कोटा 5. बाड़मेर जिला- बाड़मेर मुख्यालय- बाड़मेर क्षेत्रफल (वर्गकिमी)- 28,387 जनसंख्या (2011)- 26,04,453 मंडल- जोधपुर 6. भरतपुर जिला- भरतपुर मुख्यालय-    भरतपुर क्षेत्रफल (वर्गकिमी)- 5,066 जनसंख्या (2011)- 25,49,121 मंडल- भरतपुर 7. भीलवाड़ा जिला- भीलवा

माउंट आबू का इतिहास ( history of mount Abu)

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माउंट आबू का इतिहास :- माउंट आबू प्राचीन काल से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। कहा जाता है कि महान संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहां यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहां आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूजनीय तीर्थस्थल बना हुआ है। एक कहावत के अनुसार आबू नाम हिमालय के पुत्र आरबुआदा के नाम पर पड़ा था। आरबुआदा एक शक्तिशाली सर्प था, जिसने एक गहरी खाई में भगवान शिव के पवित्र वाहन नंदी बैल की जान बचाई थी। माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में एक बहखूबी आकर्षित और अति सुंदर अरावली पर्वतमाला के बीच में बना हुआ है। माउंट आबू पर्वत अरावली पर्वतमाला के पहाड़ी पर बना एक छोटा सा शहर है जहां पर जैन समाज के तीर्थ मंदिर स्थापित है।इस पहाड़ी पर एक अद्भुत सुंदर दृश्य दिखाई पड़ता है जिसको हम सन सेट कहते हैं। सबसे ताज्जुब की बात है की पहाड़ी पर एक झिल बनी हुई है। जिसको हम नक्की झील के नाम से जानते हैं।माउंट आबू की ऊ

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास- राजस्थान (history of chittorgarh fort)

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चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास  :- प्राचीन भारत में जिस स्थान पर वर्तमान में किला मौजूद है उसे चित्रकूट के नाम से जाना जाता था. इस किले की प्राचीनता के कारण किले की उत्पत्ति का समर्थन करने वाले स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं. हालाँकि सिद्धांतों का एक समूह है जो अभी भी बहस के अधीन हैं. सबसे आम सिद्धांत में कहा गया है कि एक स्थानीय मौर्य शासक चित्रांगदा मोरी ने किले का निर्माण किया था. किले के बगल में स्थित एक जल निकाय के बारे में कहा जाता है कि इसे महाभारत के महान नायक भीम ने बनाया था. किवदंती है कि भीम ने एक बार अपनी सारी शक्ति से जमीन पर प्रहार किया था, जिसने एक विशाल जलाशय को जन्म दिया. किले के बगल में एक कृत्रिम भीमताल कुंड हैं. किले की राजसी महत्व के लिए अतीत में कई शासकों ने इसे अपना बनाने की कोशिश में, इसे पकड़ने की कोशिश की है. गुहिला राजवंश के बप्पा रावल सबसे शुरुआती शासकों में से एक थे जिन्होंने किले पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया था. कहा जाता है कि 730 ईसवी के आसपास मोरिस को पराजित करने के बाद किले को उनके द्वारा कब्जा कर लिया गया था. कहानी के एक अन्य संस्करण में कहा गया है कि बप्प

मेहरानगढ़ किला - जोधपुर ( Mehrangarh fort , Jodhpur)

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मेहरानगढ़ किला :- जोधपुर शहर जिसे सूर्यनगरी भी कहा जाता है, इस शहर में ऐसा बहुत कुछ है जिसे आप बार-बार देखना चाहते हैं। लेकिन अगर इस शहर के गौरव की बात करें तो उस किले की सुंदरता के चर्चे देश में ही नहीं विदेश में भी गूंजते हैं। मेहरानगढ़ किले को जोधपुर शहर की शान कहा गया है। इस किले को देखने के लिए साल भर पूरे भारत के साथ-साथ विदेश के लोग आते हैं। यह शानदार किला 120 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। यह किला जोधपुर शहर के हर कोने से दिख जाता है।                Mehrangarh fort, Jodhpur यह किला लगभग 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले के बार में यह भी कहा जाता है कि साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई के दौरान सबसे पहले मेहरानगढ़ के किले को टारगेट किया गया था। इस किले की चोटी से पाकिस्तान की सीमा दिखाई देती है। इतिहास :- मेहरानगढ दुर्ग भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। पन्द्रहवी शताब्दी का यह विशालकाय किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से १२५ मीटर ऊँचाई पर स्थित है और आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त दस किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है।

जयपुर का इतिहास ( History of Jaipur)

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जयपुर का इतिहास जयपुर शहर देश भारत राज्य राजस्थान ज़िला जयपुर जनसंख्या  (2011) [1]  • कुल 30,46,163 समय मण्डल आइएसटी  ( यूटीसी+5:30 ) वेबसाइट www .jaipur .rajasthan .gov .in - राजस्थान की राजधानी/ पिंक सिटी राजस्थान की राजधानी जयपुर पिंक सिटी देशी-विदेशी सैलानियों की पहली पसंद है। चारो ओर से आरवाली पर्वतमलाओ की गोद में बसा जयपुर शहर । शानदार महलों ओर भवनों वाले इस शहर को बनाते समय इसमें आवागमन के लिए 7 प्रवेश द्वार बनाए गए थे। बता दें कि जयपुर शहर जहां बसा हुआ है, वहां कभी 6 गांव हुआ करते थे। जिस 6 गांवों को जोड़कर जयपुर को बसाया गया था उन गांवों पुराना नाम आज के वर्तमान के नामों से भिन्न थे। – नाहरगढ़, तालकटोरा, संतोषसागर, आज का मोती कटला, गलताजी और आज के किशनपोल को मिलाकर जयपुर को बनाया गया था। – सिटी पैलेस के उत्तर में एक झील तालकटोरा हुआ करती थी। इस झील के उत्तर में एक और झील थी जो बाद में राजामल का तालाब बन गई । जयपुर शहर को बसाते समय सड़कों और अन्य मार्गो का विशेष ख्याल रखा गया था शहर की मुख्य सड़कों  की चौड़ाई पर खास ध्यान दिया गया। शहर के मुख्य बाजार त्रिप

जवाई बांध का इतिहास (History of Jawai Dam)

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जवाई बांध का इतिहास   -         जवाई बांध राजस्थान में लूनी नदी की एक सहायक नदी जवाई नदी पर बना एक बांध है, जो लगभग 70 साल पुराना है। जवाई बांध राज्य के पाली जिले के सुमेरपुर शहर के पास बना हुआ है। इस बांध का निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह द्वार करवाया गया है। जवाई बांध को बनाने का कार्य 12 मई 1946 को शुरू हुआ था और यह 1957 में बनकर तैयार हो गया था। जवाई बांध के निर्माण में कुल खर्च 2 करोड़ 7 लाख रुपए था। यह बांध लगभग 500 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। जवाई बांध पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है जिसकी क्षमता 7887.5 मिलियन क्यूबिक फ़ीट है। आपको बता दें कि सेई बांध और कालीबोर बांध जवाई बांध के फीडर बांध हैं। जवाई बांध राजस्थान के सबसे बड़े बांधों में से एक है। यह डैम अपने आस-पास के शहरों के लिए वन रक्षक के रूप में काम करता है। यह एक असाधारण सुरम्य बांध है जो यहां आने वाले पर्यटकों को अदभुद दृश्य प्रस्तुत करता है। यहां पर पर्यटक कई प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं जो सर्दियों के दौरान दुनिया के बर्फीले हिस्सों से उड़ कर यहां आते हैं। क्रेन और गीज़ जैसे क्षणभंगुर