जयपुर का इतिहास ( History of Jaipur)

जयपुर का इतिहास


जयपुर
शहर
Skyline of जयपुर
देशभारत
राज्यराजस्थान
ज़िलाजयपुर
जनसंख्या (2011)[1]
 • कुल30,46,163
समय मण्डलआइएसटी (यूटीसी+5:30)
वेबसाइटwww.jaipur.rajasthan.gov.in
- राजस्थान की राजधानी/ पिंक सिटी
राजस्थान की राजधानी जयपुर पिंक सिटी देशी-विदेशी सैलानियों की पहली पसंद है। चारो ओर से आरवाली पर्वतमलाओ की गोद में बसा जयपुर शहर । शानदार महलों ओर भवनों वाले इस शहर को बनाते समय इसमें आवागमन के लिए 7 प्रवेश द्वार बनाए गए थे। बता दें कि जयपुर शहर जहां बसा हुआ है, वहां कभी 6 गांव हुआ करते थे।
जिस 6 गांवों को जोड़कर जयपुर को बसाया गया था उन गांवों पुराना नाम आज के वर्तमान के नामों से भिन्न थे। – नाहरगढ़, तालकटोरा, संतोषसागर, आज का मोती कटला, गलताजी और आज के किशनपोल को मिलाकर जयपुर को बनाया गया था। – सिटी पैलेस के उत्तर में एक झील तालकटोरा हुआ करती थी। इस झील के उत्तर में एक और झील थी जो बाद में राजामल का तालाब बन गई । जयपुर शहर को बसाते समय सड़कों और अन्य मार्गो का विशेष ख्याल रखा गया था शहर की मुख्य सड़कों  की चौड़ाई पर खास ध्यान दिया गया।
शहर के मुख्य बाजार त्रिपोलिया बाजार में सड़क की चौड़ाई 110 फीट रखी गई तो वहीं हवामहल के पास ड्योढ़ी बाजार की  105 फीट की सड़क बनाई गई। जौहरी बाजार दुकानों के बरामदे से जौहरी बाजार की सड़क की चौड़ाई 90  फीट से ज्यादा रखी गई। वहीं पास के चांदपोल बाजार की सड़क  94 फीट चौड़ी बनाई गई। जयपुर के बसने के समय के समय की कुछ यादें के बारे में जानकर बताते है की उस समय मुख्य बाजारों के दोनों तरफ एक साइज की भवनों को बनाने पर ध्यान जोर दिया गया था ।
मुख्य सड़कों के दोनों ओर के भवनों को बाजार की तरफ झांकते हुए बनाने की स्वीकृति दी गई तो सभी भवनों का आकार और ऊंचाई एक जैसी हो इस का  खास ख्याल  रखा गया। जौहरी बाजार आज भी सबसे सुन्दर और एक रूप में दिखता हैं। ऐसे ही सुन्दर भवन सिरह ड्योढ़ी बाजार में देखने को मिलते हैं। इस बाजार को हवामहल जैसा सुन्दर बनाया गया।
चान्दपोल से सूरजपोल गेट पश्चिम से उत्तर की ओर है और यहां मुख्य सड़क दोनों गेटों जोड़ती है। बीच-बीच में चौपड़ है। त्रिपोलिया के सामने चौपड़ तो नहीं चौक बनाई गई।  यहां के प्रमुख भवनों में सिटी पैलेस, 18वीं शताब्दी में बना जंतर-मंतर, हवामहल, रामबाग पैलेस और नाहरगढ़ किला शामिल हैं। 

नोट:- चित्र में आमेर का किला दिखाया हुआ है

जयपुर राजस्थान की राजधानी होने के अलावा, जयपुर राज्य का सबसे बड़ा शहर है। शहर की प्रतिष्ठता और यहां की प्राचीन संस्कृति का अतीत 18 शताब्दी की याद ताजा करती है और इसका श्रेय महान योद्धा और खगोल विज्ञानी महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय को जाता है। जयपुर का गौरवशाली अतीत शहर के महलों और किलों में आज भी जीवित है जिसमें एक शाही परिवार रहा करता था।
राजसी किले और हवेलियाँ, विशाल सुंदर बगीचे, सुंदर मंदिर, शांत परिदृश्य और समृद्ध व यहां की सांस्कृतिक विरासत ने जयपुर को दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया है। जयपुर का नजारा बहुत ही मनमोहक है जैसे ही आप इस शहर में कदम रखते हैं तो  आपको एक खुशी और प्रसन्नता अनुभव होती है। जयपुर शहर के गुलाबी रंग के भवनों और इमारतें आप के दिल को लुभाने वाला एक रोमांटिक आकर्षण लाता है। अगर आपके पास जयपुर के राजसी गौरव का अनुभव नहीं है, तो अभी अपनी यात्रा की योजना बनाएं !
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हवा महल, जयपुर 
हवा महल -
भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक राजसी-महल है। इसे सन 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इसे किसी 'राजमुकुट' की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ता द्वारा डिजाइन किया गया था। इसकी अद्वितीय पांच-मंजिला इमारत जो ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है, बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है, जिसमें ९५३ बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियाँ हैं, जिन्हें झरोखा कहते हैं। इन खिडकियों को जालीदार बनाने के पीछे मूल भावना यह थी कि बिना किसी की निगाह पड़े "पर्दा प्रथा" का सख्ती से पालन करतीं राजघराने की महिलायें इन खिडकियों से महल के नीचे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों का अवलोकन कर सकें। इसके अतिरिक्त, "वेंचुरी प्रभाव" के कारण इन जटिल संरचना वाले जालीदार झरोखों से सदा ठंडी हवा, महल के भीतर आती रहती है, जिसके कारण तेज़ गर्मी में भी महल सदा वातानुकूलित सा ही रहता है।
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